ज़िन्दगी बहुत बदल गयी है, लोगो ने सोचा नहीं था की बीमारी इतनी घातक साबित होगी, अभी की ही तो बात है नया साल लगा और हमने सोचा था कि 2020 बहुत अच्छा साबित होगा। 27 मार्च 2020 सुबह जब मोबाइल चेक किया तो पहली ख़बर थी कि भारत में कोरोना वायरस की संख्या 733 पहुंची और दुःख इस चीज़ का था कि 20 लोगो की इस बीमारी के चलते मृत्यु हो गयी है।
मुझे मालूम है कि हम में से ज़्यादातर सभी लोग यही दुआ कर रहे हैं कि इस बीमारी का हल निकले लेकिन इस बीच हम लोग एक ऐसी चीज़ को नज़र अंदाज़ कर रहे है जो इस महामारी में लोगो में डर और अराजकता का माहौल बना रही है। मैं बात झूठी और फ़र्ज़ी ख़बर की कर रहा हूँ, और हम में से कुछ लोग बिना जाने फ़र्ज़ी और झूठी खबरों को फैला रहें हैं।
कोरोना वायरस दिसंबर 2019 में चीन में आया और इसके बाद दुनिया में अलग अलग जगह पर फैला, भारत में 30 जनवरी 2020 को सबसे पहला केस सामने आया और इसके बाद से ही अलग अलग माध्यमों से झूटी और फ़र्ज़ी खबरें फैलाई जा रही है।
20 मार्च 2020 को इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने एक एडवाइजरी प्रकशित की जिसका विषय था कोरोना वायरस पर झूठे समाचार और ग़लत सुचना रोकने के लिए एडवाइजरी और इस एडवाइजरी में भी यही कहा गया कि मीडिया में कई जगह रिपोर्ट आई है कि कोरोना वायरस की झूठी खबरें और ग़लत समाचार अलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैलने की वजह से लोगो में डर का माहौल उत्पन्न हो रहा है। इस एडवाइजरी में यह भी बताया गया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम अनुभाग 2(1)(w) के अंतर्गत मध्यवर्ती संस्थाएँ हैं जिनको सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियम 2011 आई.टी. अधिनियम की धारा 79 के तहत अधिसूचित है। सोशल मीडिया साइट्स को अपने उपभोगकर्ताओं को सूचित करना चाहिए कि किसी भी तरह से सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाली जानकारी को होस्ट, प्रदर्शित, अपलोड, संशोधित, प्रकाशित, प्रसारित या साझा नहीं करना है।
फ़र्ज़ी न्यूज़ और झूठी इनफार्मेशन के चलते सरकार ने व्हाट्सएप्प पर एक स्वचालित चैटबॉट "Mygov Corona" की स्थापना की है, ताकि कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण, सावधानियों और हेल्पलाइन नंबर जैसी जानकारी प्रदान की जा सके।
हम उस दौर में हैं जब सोशल मीडिया साइट्स पर "गरम पानी और नींबू से कोरोना वायरस ख़तम होता है" सुनकर लोग इसकी प्रमाणिकता को न जानकर इसका पालन शुरू कर देता है। हम एक दूसरे को सहानुभूति देते है यह कहकर कि "गर्म मौसम होते ही कोरोना वायरस ख़तम हो जायेगा" और सुनने वाले इस बात को मान भी लेते हैं।
व्हाट्सएप्प पर यह कहकर हम गर्व महसूस करते हैं कि भारतीयों की इम्युनिटी पश्चिम में लोगों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है और कई लोग इसको बिना वेरीफाई किये आगे फॉरवर्ड कर दिए हैं।
हाल ही में भारत के दो बहुत मशहूर डॉक्टर, डॉ नरेश त्रेहन और डॉ देवी शेट्टी को वौइस् रिकॉर्डिंग में चित्रित किया गया जिसका इन दोनों डॉक्टर्स से कोई ताल्लुक़ नहीं था। डॉ देवी शेट्टी ने बताया कि उन्होंने कोई भी ऐसी पोस्ट नहीं की जिसमे कोरोना वायरस के हर दिन के लक्षण के बारे में बताया हो। डॉ नरेश त्रेहन जो एक प्रसिद्ध कार्डिओवैस्क्युलर और कार्डिओथोरासिक चिकित्सक हैं बताया की उन्होंने कोई भी ऐसा वौइस् मैसेज शेयर नहीं किया जिसमे कहा जा रहा था की प्रधान मंत्री जी राष्ट्रीय आपातकालीन घोषित करने वाले हैं और आप लोग प्राप्त राशन, दवाएं और नकदी रखें। दोनों ही डॉक्टर ने यह बताया कि यह मैसेज फ़र्ज़ी और झूठे थे।
कोरोना वायरस से संबंधित गलत सूचनाओं का डरावना हिस्सा उन लोगों के लिए नहीं है जो इसे मानते हैं बल्कि इसे काउंटर करने के लिए अच्छी जानकारी की कमी है। अभी जनवरी की बात करें तो भारत सरकार ने खुद गलत तरीके से सलाह दी कि होम्योपैथी कोरोनो वायरस के लक्षणों को रोकने और प्रबंधित करने में मदद कर सकती है, लेकिन प्राकृतिक दवाओं का बीमारी पर कोई असर नहीं हुआ है।
हमारे लिए यह इस फ़र्ज़ी ख़बर को मानना आसान है कि वायरस को मारने के लिए हेलीकॉप्टर से छिड़काव होगा लेकिन हम यह मानने को तैयार नहीं कि हम कोरोना वायरस को ख़तम करने के लिए सही कदम नहीं ले रहे हैं।
हमारे समाज के कुछ लोगो ने यह मान लिया की बर्तन पीटने और तालियां बजने से कोरोना वायरस मर जायेगा, इससे बड़ी खतरे की कोई बात नहीं की हम फ़र्ज़ी और झूठी ख़बरों को बहुत जल्दी मान लेते हैं।
सरकार इस विषय में काम तो कर रही है लेकिन इस विषय में सरकार की रफ़्तार बहुत सुस्त है। हम एक उभरती हुई सभ्यता और सुपर पावर भी हैं लेकिन हमे उदाहरण यूनाइटेड किंगडम से लेना चाहिए जहाँ कोरोना वायरस से जुडी फ़र्ज़ी और झूठी ख़बरों से लड़ने के नेशनल हेल्थ सर्विसेज एक नई पहल शुरू की है जिसमे अंग्रेजी सरकार के डिजिटल, कल्चर, मीडिया और स्पोर्ट विभाग के नेतृत्व वाली काउंटर-डिसइन्फोर्मशन यूनिट की घोषणा की, क्युकि सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर फ़र्ज़ी और झूठी खबरें आ रही थी।
साथ साथ आम लोगो को भी इसमें योगदान देना होगा, कोई फ़र्ज़ी और झूठी ख़बर या सुचना मिले तो उसको रोकें और रिपोर्ट करें बेशक यह छोटा कदम एक बड़ी पहल को नेतृत्व देगा।
कोरोनावायरस और फर्जी झूठी खबरें
Rayyan Yunus
COVID-19