How to Play PUBG Mobile Safely

एक ज़माना था जब कार्टरिड्ज गेम हम सबके घर में होता था और बचपन में वही मनोरंजन का साधन होता था गर्मियो की छुट्टिया हो या सनडे की छुट्टी, हम कई तरह के गेम उस पर खेलते थे जैसे कोन्ट्रा, मारियो और डक हंट यही नही जब वक्त आगे बढ़ा तो मनोरंजन का साधन भी बदल गया और हमने कार्टरिड्ज गेम से कंप्यूटर की तरफ रूख किया। कंप्यूटर गेम बहुत अड्वान्स थे यहा ग्रॅफिक की क़्वालिटी बेहतर थी और गेम भी अधिक मजेदार थे जैसे वर्चुयल कॉप, रोड रेश और नीड फॉर स्पीड। अब कहानी पहले जैसी नही थी हमने वो रास्ता चुन लिया था जिसमे एंटरटेनमेंट आउट डोर गेम से ज्यादा इन वर्चुयल गेम्स में आने लगा था जैसे उम्र और बढ़ी हमने कंप्यूटर से ज्यादा तरज़ी कॉन्सोल को दी यहाँ भी मसला अच्छे ग्रॅफिक्स का था और यहाँ मनोरंजन के लिए हमे स्ट्रीट फाइटर, टेकन और पेप्सी मेन जैसे गेम्स मिले जब यह महसूस होने लगा के अब गेम खेलने की उम्र समाप्त होने जा रही है तो भारत में एक क्रांति आई इस क्रांति ने इंसान को एंटरटेनमेंट का एक नया साधन दे दिया जिसको मोबाइल फोन कहा जाने लगा इसी के साथ साथ मोबाइल डेटा भी काफी सस्ता हो गया। मोबाइल इंडस्ट्री में ना सिर्फ कॉल और वीडियो क़्वालिटी पर काम किया बल्कि मोबाइल गेम्स के सेक्टर में भी एक भूचाल आ गया। देखते ही देखते मोबाइल इतने अड्वान्स हो गये की कंप्यूटर और कॉन्सोल पर चलने वाले गेम अब मोबाइल में भी खेले जाने लगे।


जब 19 मार्च 2018 को PUBG (PlayersUnknown Battlegrounds) दुनिया भर में रिलीज़ हुआ तो 10 लाख से भी ज्यादा लोगो ने इसको डाउनलोड किया कहा जाता है की यह तो बस एक शुरुआत थी क्योकि 2018 के 36वे गोलडेन जॉयस्टिक अवॉर्ड्स में PUBG को मोबाइल गेम ऑफ दी ईयर से सम्मानित किया गया।

PUBG क्या है?

PUBG एक बहुत लोकप्रिय डिजिटल गेम है जो कंप्यूटर, मोबाइल और कॉन्सोल पर खेला जाता है इसकी लोकप्रियता इतनी है के भारत जैसे आबादी वाले देश में बढ़ता मोबाइल का प्रयोग और इंटरनेट की दीवानगी इस गेम को नई बुलंदियो पर ले जा रही है। अगर PUBG की बात की जाए तो इस गेम में 100 खिलाड़ी एक साथ विमान से एक द्वीप के उपर से उतरते है और अपनी मर्जी से पेराश्यूट की मदद से किसी एक स्थान पर उतर सकते हैं साथ ही उतरने के बाद खिलाड़ियो को बंदूकें, हेल्मेट, बुलेटप्रूफ वेस्ट और बैग जैसा सामान ढूंडना पड़ता है और इसी के बाद एक सिलसिला शुरू हो जाता है जहाँ मनोरंजन के लिए प्लेयर्स एक दूसरे को मारते हैं। जो खिलाड़ी खेल समाप्त होने पर ज़िंदा बचता है उसको विजेता घोषित किया जाता है और जीत के तौर पर उसको चिकन डिन्नर मिलता है। शाकाहारी लोग परेशन ना हो क्योकि यह चिकन डिन्नर असली चिकन डिन्नर नही परंतु एक आभासी चिकन डिन्नर है।

PUBG Game

"क्वार्ट्ज" के लिए इंटरनेट सेवा प्रदाता "जन" द्वारा किए गए एक नए शोध के अनुसार, PUBG को वर्ष 2018 का सबसे लोकप्रिय ऑनलाइन मोबाइल खेल कहा गया है इसने अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ दिया है और 1,047 भारतीय उत्तरदाताओं के 61.9 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं।

PUBG Game

इंडिया टुडे का सर्वे

इंडिया टुडे के सर्वे में पाया गया है कि PUBG के अधिकांश खिलाड़ी, यानी 24.3 प्रतिशत, रोजमर्रा के आधार पर कम से कम 8 घंटे बिताते हैं, जबकि जो लोग दो घंटे से कम समय के लिए 15.9 प्रतिशत तक गेम खेलते हैं। हां, PUBG के कम से कम 52.6 फीसदी खिलाड़ी रात में इसे खेलना पसंद करते हैं, जबकि 6.1 फीसदी युवा खिलाड़ी स्कूलों के दौरान और 2.1% कार्यालयों में खेलते है। भारतीय खिलाड़ी सुनिश्चित करते हैं कि वे PUBG का उपयोग केवल एक से अधिक तरीकों से करें। लगभग 46 प्रतिशत भारतीय खिलाड़ी इन-गेम वॉयस चैट फीचर का उपयोग न केवल गेम रणनीति पर चर्चा करने के लिए करते हैं, बल्कि गैर- PUBG विषयों पर भी चर्चा करते हैं। 28 प्रतिशत तेज चैट सुविधा का उपयोग भी करते हैं।

PUBG की ओर भारतीय मनोवैज्ञानिकों का रूख!

साइकॉलजिस्ट लेन्सी डी.सूज़ा (असोसीयेट प्रोफेसर ऑफ साइकॉलजी, महाराजा कॉलेज, यूनिवर्सिटी ऑफ मयसूर, इंडिया) और साइकॉलजिस्ट पेन्पा डॉलमा (असिस्टेंट प्रोफेसर ऑफ साइकॉलजी, दलाई लामा इन्स्टिट्यूट ऑफ हाइयर एजुकेशन, कर्नाटका, इंडिया) ने 162 इंडियन स्टूडेंट्स पर रिसर्च की और PUBG अडिक्शन टेस्ट (PAT) से पता लगाया 7.7% सैम्पल्स को PUBG की लत लग चुकी है और 36.3% को PUBG की लत लग सकती है। (D’Souza. L & Dolma. P (2019). Extent of PUBG Addiction among Indian and Tibetan Students: A Comparative Study. International Journal of Indian Psychology, 7(2), 482-488. DIP:18.01.058/20190702, DOI:10.25215/0702.058)

दूसरी एक शोध में साइकॉलजिस्ट लेन्सी डी.सूज़ा (असोसीयेट प्रोफेसर ऑफ साइकॉलजी, महाराजा कॉलेज, यूनिवर्सिटी ऑफ मयसूर, इंडिया), मनीष एस (एम.एस.सी. स्टूडेंट, साइकॉलजी, यूनिवर्सिटी ऑफ मयसूर, इंडिया) और दीक्षा एस (बी. ए. स्टूडेंट, यूनिवर्सिटी ऑफ मयसूर, इंडिया) ने 494 लोगो पर सर्वे किया और अपने सर्वे में बताया के युवा किशोरों और मध्यम आयु वर्ग के लोगों के बीच PUBG की लत बहुत ज्यादा है। स्मार्टफोन के अप्रतिबंधित उपयोग के साथ-साथ इंटरनेट की सुलभता और सस्ती उपलब्धता के कारण, टेक्नालजी के पैथोलॉजिकल उपयोग में वृद्धि हुई है और कई बढ़ते युवा दिमाग मनो-शारीरिक लक्षणों से पीड़ित गये हैं। (D’Souza.L, Manish.S, & Deeksha.S (2019).Development and Validation of PUBG Addiction Test (PAT). International Journal of Indian Psychology, 7(1), 562-574. DIP:18.01.063/20190701, DOI:10.25215/0701.063) यह सब जानकर आपको भी चिंता होने लगी होगी, बेशक यह चिंता का विषय है और इस ओर सख़्त कदम उठाने की जरुरत है।

टॉक्सिक बिहेवियर

जब हम किसी ऑनलाइन गेम की बात करते हैं तो उसमे इंटरनेट का प्रयोग होना आवश्यक है और जहाँ इंटरनेट की बात होती है वहाँ ऑनलाइन संचार होता है ऑनलाइन संचार से तात्पर्य है जैसे चैटिंग, ई-मेल, वॉयस-कॉल और वीडियो कॉल आदि। ऑनलाइन गेमिंग आजकल जनता का मनोरंजन है क्योंकि यह दुनिया भर के लाखों व सैकड़ों लोगों का मनोरंजन करता है ऑनलाइन गेमिंग में इतनी तादाद में लोगो की उपस्तिथी इस बात को दर्शाता है कि गेमिंग की दुनिया में अलग अलग विचारधारा के लोग उपस्तिथ है इसी विचारधारा के मद्देनजर हम यह कह सकते हैं के यह गेमिंग की दुनिया अच्छे और बुरे दोनो ही तरह के लोगो से भरी है। गेमिंग की दुनिया में इस बुरे व्यवहार को टॉक्सिक बिहेवियर (Toxic Behavior) के नाम से जाना जाता है। लोकप्रियता और मनोरंजन के साथ साथ ऑनलाइन गेमिंग का एक टॉक्सिक बिहेवियर भी है। टॉक्सिक बिहेवियर वह व्यवहार है जो मौखिक उत्पीड़न, धोखाधड़ी और घोटाले जैसे प्रयासो को दर्शाता है टॉक्सिक बिहेवियर अक्सर एक-पर-एक बातचीत तक सीमित नहीं होता है, बल्कि यह सभी को प्रभावित करता है। ऑनलाइन गेमिंग में किसी के लिए भी गुमनाम रहना आसान है क्योंकि ऑनलाइन गेमिंग उपनाम और अवतार के पीछे होती है, इसलिए यह माना जा सकता है कि ऑनलाइन गेमिंग में टॉक्सिक बिहेवियर को समाप्त करना इतनी जल्दी सम्भव नही।

PUBG जैसे ऑनलाइन गेम में साइबरबुलिंग, उत्पीड़न, और धोखा जैसे टॉक्सिक बिहेवियर का भी विभिन्न रूपों में होना बहुत आम बात है, और बात यही नही रुकती, PUBG जैसे गेम जिसमे टीम प्ले और प्रतियोगिता के बढ़ते स्तर के कारण टॉक्सिक बिहेवियर भी अपनी चर्म सीमा पर है।

अनाड़ी गेमर्स को अक्सर अच्छे प्लेयर्स नूब कह कर पुकारते हैं जो अनाड़ी गेमर को एक गाली के समान लगती है, यह ज्यादातर टॉप प्लेयर्स में भी देखा गया है और इसके चलते कम उमर के अनाड़ी गेमर्स को अपमान का सामना करना पड़ता है। कहानी यही नही खत्म होती अगर कोई फेमस PUBG प्लेयर जो यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम करता है वो ऐसा करे तो बहुत बुरा अहसास होता है।

टॉक्सिक बिहेवियर को सही तरह से समझने के लिए एक नज़र इस चार्ट को देख लेते हैं:

टॉक्सिक बिहेवियर संक्षिप्त वर्णन

ऑनलाइन उत्पीड़न

चैट या वॉयस चैट में आपत्तिजनक संदेश भेजना

ग्रीफिंग (Griefing) दूसरे गेमर्स पर शक्ति का प्रयोग करना (ऐसा व्यवहार जब खिलाड़ी रूल्स के विपरीत दूसरे खिलाड़ी पर जोर आजमाता है)

धोखा देना ऐसे सॉफ्टवेर का उपयोग करना जो दूसरे खिलाड़ियो के उपर अनुचित लाभ देता है और यह गेम के नियमो के खिलाफ होता है जैसे PUBG खेलते समय दीवारो के आर पार देखना

स्केममिंग किसी खिलाड़ी के साथ आभासी गेमिंग समान का व्यापार करते समय धोखा करना या आभासी समान चुराना

साइबर बुल्लिंग व्यक्ति या समूह द्वारा बार-बार किए गए अधिनियम या व्यवहार, खिलाड़ी को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से। इलेक्ट्रॉनिक संचार साधनों का उपयोग करके किसी को धमकाना

टॉक्सिक बिहेवियर को मिटाने के क्या उपाए होने चाहिए?

1. निवारक

कौशल आधारित मैच मेकिंग
एंटी चीट सॉफ्टवेर
अच्छी तरह से परिभाषित और कॉम्पैक्ट नियम


2. प्रतिक्रियाशील

प्लेयर टूल्स : म्यूट या ब्लेक्लिस्ट
प्लेयर टूल्स : अपराधी की रिपोर्ट करना
गेमिंग कंपनी का टॉक्सिक बिहेवियर पर कड़ा रुख़


3. व्यक्तिगत सेवा

व्यक्तिगत ग्राहक सहायता

निवारक
खिलाड़ी खेलने का आनंद लेते हैं और खेलने की दिशा में अच्छा प्रयास करते हैं जब खिलाड़ियों के कौशल स्तर एक दूसरे से मेल खाते हैं, खासकर जब खेल उच्च तीव्रता के साथ खेले जाते हैं। जब खिलाड़ी खेल खेलने में अपना प्रयास लगा रहे होते हैं, तो उस प्रयास को भड़काने जैसी गैरजरुरी गतिविधियों में नहीं लगाया जाता है, जिससे खेल के सामान्य माहौल में सुधार होता है। इसी लिए PUBG जैसे गेम में कौशल स्तर को 8 भाग में बाटा गया है।

4. काँकर्र

5. ऐस

6. क्राउन

7. डाइमंड

8. प्लैटिनम

9. गोल्ड

10. सिल्वर

11. ब्रॉन्ज़

भारत के कुछ मशहूर खिलाड़ियो में सोल मॉर्टल, हाइड्रा डाइनमो, गॉड.एल क्रॉंटन, गरीबो और जी.टी.एक्स. प्रीत जैसे खिलाड़ी शामिल है जो उच्च स्तर के लिए जाने जाते हैं।

ऑनलाइन गेमिंग में चीटिंग एक बहुत ही नकारात्मक व्यवहार के रूप में माना जाता है चीटिंग को अक्सर सभी के लिए गेमिंग अनुभव को बर्बाद करने के लिए माना जाता है और PUBG जैसे गेम जहाँ एक साथ 100 खिलाड़ी खेल रहे होते हैं वहाँ चीटिंग बहुत भारी नुकसान करती है। कई मामलो में जहाँ चीटिंग को कंपनी द्वारा अनदेखा किया जाता है वहाँ कंपनी अपने बहुत सारे कस्टमर खो देती हैं एंटी चीट सॉफ्टवेर का होना कंपनी को सकरात्मक संकेत के रूप में है यह दर्शाता है की गेम कंपनी चीटर्स के मुद्दे पर ध्यान दे रहा है चीटिंग को खत्म करने के लिए एंटी चीट सॉफ्टवेर का होना गेमिंग अनुभव में सुधार पैदा करता है।

यह हम को स्वीकार करना होगा के गेमर्स उद्देश्यपूर्ण नियम को नही पढ़ते क्योंकि नियमो के दस्तावेज बहुत बोझिल होते है और खिलाड़ी पहले से ही मान लेता है की नियमो को पढ़ने में उसका समय व्यर्स्थ हो जाएगा अगर एक अच्छी तरह से परिभाषित और कॉम्पैक्ट नियमों का एक सेट बनाया जाए तो खिलाड़ी डॉक्युमेंट को पढ़ने में रूचि दिखाएगा।

प्रतिक्रियाशील

लिखित और मौखिक रूप से खिलाड़ियो का उत्पीड़न करना सबसे आम है इसका सामना अक्सर खिलाड़ियो को करना पड़ता है इसका सामना करने वाले खिलाड़ियो के लिए सबसे आम और आसान तरीका है की वो गेम में दिए गए उपकरणों का उपयोग करके दुर्व्यवहार करने वेल खिलाड़ी को ब्लैकलिस्ट या म्यूट करे।

खिलाड़ियो को यह बात अच्छे से मालूम है की टॉक्सिक बिहेवियर बहुत बड़ा मुद्दा है और यह गेमिंग की दुनिया में फैला हुआ है और खिलाड़ी यह भी जानते है की कंपनियां इससे जुड़ी हर चीज से निपटने में सक्षम नही है लेकिन खिलाड़ी मानते है कि टॉक्सिक बिहेवियरे से निमटने के लिए रिपोर्टिंग सबसे प्राथमिक तरीका है और सेल्फ मॉडरेशन टूल्स गेम्स का आवश्यक हिस्सा है। इनका उपयोग करने से बहुत फर्क पड़ता है इन गेम टूल्स की मदद से टॉक्सिक बिहेवियर को रिपोर्ट करने पर खिलाड़ियो को अपने गेम के अनुभव को बेहतर बनाने और गेम कंपनी के भार को कम करने में मदद मिलती है। ब्लैकलिस्ट या म्यूट करना बहुत पुराना और कारगर तरीका है जिससे हम किसी भी तरह के उत्पीड़न पर तुरंत रोक लगा सकते हैं और ऐसा हम वाय्स कॉल और मेसीजिंग के समय से करते आ रहे है।

व्यक्तिगत सेवा

जब उपर दिए गये सारे तरीके विफल हो जाते है तो गेमर्स को गेमिंग कंपनी से मदद की उम्मीद होती है ग्राहक सेवा को पेचीदा मुद्दो से निपटने के लिए अधिक विश्वसनीय तरीके के रूप में देखा जाता है अक्सर ग्राहक सेवा ऐसी स्तिथि में भी लाभदायक होती है जहाँ घोटाला हुआ हो।

व्यक्तिगत सेवा इंसानी समझ पर निर्भर करती है और जब इंसान इंसान से बात चीत करता है तो उसको परेशानी की इंतेहा आवाज़ और बोल चाल के ढंग से पता चल जाता है के परेशानी की सीमा क्या है।

सेफ गेमिंग

इन-एप परचेसईज़

इनएप परचेसईज़ PUBG का वो भाग है जहाँ खिलाड़ी मनोरंजन के लिए गेम में पर्याप्त मार्केट से रॉयल पास, प्रीमियम रॉयल पास, स्किन्स, क्रेट्स, आउटफिट्स और दूसरा कई तरह का समान खरीद सकता है इस समान को लेने से खिलाड़ी के खेल में कोई तब्दीली नही आती लेकिन मनोरंजन के लिए वो दूसरे से अलग दिख सकता है दिखने में रोचक रंगो के वाहन चला सकता है, मज़किया और अतरंगे कपड़े पहन सकता है। के. पी. एम. जी. की एक स्टडी में पाया गया है के भारतीय गेमर्स ने फेब्रुवरी 2017 तक गेम्स में 19.65 मिलियन डॉलर की खरीददारी की, और यह भी बताया गया की 10 में से 7 PUBG प्लेयर्स ने 2018 तक कपड़े और आभासी गन्स की खरीददारी की।

इन-एप परचेज करते समय केवल गेम में दिए हुए लिंक पर ही क्लिक करके किसी भी समान को खरीदें किसी अन्य स्त्रोत या किसी के द्वारा भेजे हुए लिंक पर क्लिक करके समान ना खरीदें।

क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल केवल ऐसी वेबसाइट या पेज पर करे जहाँ एस.एस.एल. (सेक्यूर सॉकेट्स लेयर) हो। एस.एस.एल. लेयर का पता लगाने के लिए देख लें के साइट्स HTTP की जगह HTTPS हो। HTTPS होने पर वेबसाइट अड्रेस के दायें एक लॉक का आइकान होता है और गूगल क्रोम, फायर फॉक्स और ओपेरा जैसे ब्राउज़र बिना एक्सट्रा "S" वाले पेजस को ब्लाक कर देता है जिस के कारण विजिटर को पता चल जाता है की पेज विजिट करना सेफ है या नही। साइबर कैफे या शएर्ड वाई फाई या अनट्रसटेड कंप्यूटर/मोबाइल से कनेक्ट होकर परचेज ना करें।

सबसे महत्वपूर्ण है जब आपके साथ धोखा या कुछ अपराधिक गतिविधि हो तो शर्म ना करे परंतु शिकायत और लोगो को जागरूक करने में मदद करें।

आयु प्रतिबंध

PUBG गेम के बढ़ते चलन और एडिक्शन ने मानसिक स्वास्थय पर गंभीर असर किया है और छोटे बच्चों में इसकी वजह से शिक्षा में कम अंक भी देखे गये हैं इसके मद्देनजर PUBG ने डिजिटल लॉक की सुविधा दी है जिसमे 13 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति अपने माता पिता की निगरानी और सहमति से गेम को खेलना होगा गेम कंपनी टेनसेंट का कहना है की गेम में डिजिटल लॉक चीन में लागु कर दिया गया है जिसकी वजह से किशोर टेनसेंट के कुछ गेम नहीं खेल पा रहे है।

शायद आने वाले समय में यह सुविधा भारत में भी लागू हो जाये क्योंकि भारत में भी टेनसेंट के 2 डिजिटल गेम बेहद पॉपुलर है जो PUBG और गेरेना फ्री फायर के नाम से जाने जाते हैं। अंत में यही कहना चाहूंगा किसी भी चीज की लत एक बेहद जटिल और विनाशकारी बीमारी है, और इसका प्रभाव बस विनाशकारी हो सकता है। PUBG या अन्य कोई भी गेम क्यों न हो एक सीमा तक खेलना चाहिए और उसका आनंद लेना चाहिए।

क्योंकि बड़े बूढ़े कह गए हैं "पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब"

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